“वेदा वाश”
भारत का पहला आयुर्वेदिक एंटीसेप्टिक प्रोडक्ट
“वेदा वाश – आयुर्वेदिक सुरक्षा का साथ, अब हर दिन वेदा वाश”
स्वास्थ्य की सुरक्षा, सिर्फ एक चुटकी में। “आंवला, नीम, हल्दी आदि जैसी असरकारी औषधियों से युक्त!
त्वचा एवं गुप्तांग स्वच्छता के लिए उपयोगी प्राकृतिक सुरक्षा:
“वेदा वाश” आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक तत्वों से युक्त है, जो “जेनिटल हाइजीन (गुप्तांग स्वच्छता)” को बनाए रखने में सहायक है। आयुर्वेद के अनुभवी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में इस उत्पाद को डिज़ाइन किया गया है।
मुख्य आयुर्वेदिक घटक:
• आंवला – त्वचा को स्वस्थ और तरोताजा बनाए रखता है
• हरड़ – प्राकृतिक रोगाणुरोधी, संक्रमण से सुरक्षा
• बहेड़ा – एंटीबैक्टीरियल गुण, त्वचा को राहत प्रदान करता है
• नीम पत्र – जीवाणुरोधी और एंटीफंगल
• फिटकरी – संक्रमण से बचाव और स्वच्छता बनाए रखने में सहायक
• टंकण – त्वचा को ठंडक और आराम पहुंचाता है
• हल्दी – प्राकृतिक एंटीसेप्टिक, त्वचा की रक्षा करता है
उपयोग के निर्देश:
• सिट्ज़ बाथ के लिए: 5 लीटर गुनगुने पानी में 5 ग्राम “वेदा वाश” पाउडर डालें और इसे मिलाएं। फिर टब में बैठकर सिकाई करें। इससे संक्रमण से सुरक्षा मिलेगी और यह एंटीसेप्टिक गुणों से त्वचा को आराम देगा।
• जननांग धोने के लिए: प्राकृतिक एंटीसेप्टिक घटकों के कारण, यह बाहरी जननांग की स्वच्छता के लिए सुरक्षित और प्रभावी है।
“वेदा वाश” में लेमन ग्रास की खुशबू है जो आपको ताजगी का अनुभव कराती है और आपको एक स्वच्छ और सुरक्षित अनुभव प्रदान करती है।
सिट्ज़ बाथ का उपयोग आमतौर पर बवासीर (पाइल्स), फिस्टुला, फिशर जैसी स्थितियों के प्रबंधन के लिए डॉक्टरों के द्वारा सुझाया जाता है। यह एक बेहद असरकारी थेरेपी है जिसमें गुनगुने पानी में बैठकर सिकाई करने के बारे में बताया जाता है, इसके साथ “वेदा वाश” का उपयोग करने से गुदा समस्याओं के समय होने वाली असुविधा को कम करने में लाभ मिलता है, साथ ही सूजन को कम करने और गुदा क्षेत्र में स्वच्छता को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
रिसर्च से पता चला है कि सिट्ज़ बाथ का इन स्थितियों से जुड़े दर्द और खुजली से महत्वपूर्ण राहत मिलती है।
रिसर्च रिफरेन्स: काइज़ेन फिस्टुला केयर और रिसर्च स्क्वायर
प्रोडक्ट इंग्रेडिएंट्स से जुड़ी रिसर्च व अन्य जानकारी विस्तार से:
1) आंवला (Emblica officinalis या Indian gooseberry) से जुड़े कई रिसर्च अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि आंवला त्वचा और गुप्तांग स्वच्छता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
आंवला (Emblica officinalis) में मौजूद घटकों पर रिसर्च से यह पता चलता है कि यह त्वचा और गुप्तांगों की स्वच्छता के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। आंवला का उपयोग एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण पारंपरिक चिकित्सा में त्वचा संक्रमण और स्वच्छता के लिए होता आया है। इसमें मुख्यतः विटामिन सी, गैलिक एसिड, और एंब्लिकानिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटीमाइक्रोबियल घटक होते हैं, जो त्वचा की सुरक्षा में मददगार साबित होते हैं। इसके एथेनॉलिक और मिथेनॉलिक एक्सट्रैक्ट्स का परीक्षण ई. कोलाई, स्टेफायलोकोकस ऑरियस और कई अन्य बैक्टीरिया पर किया गया, जहां यह प्रभावी एंटीबैक्टीरियल गतिविधि दिखाता है, जिससे संक्रमण की संभावना कम होती है।
इसके कुछ अन्य महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:
i) संक्रमण रोधी गुण: आंवला में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो इसे त्वचा और गुप्तांग स्वच्छता के लिए आदर्श बनाते हैं। ये गुण इसे बैक्टीरिया और फंगल संक्रमणों के विरुद्ध एक प्रभावी रक्षक बनाते हैं, जिससे त्वचा और गुप्तांगों के बाहरी संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है।
ii) त्वचा की मरम्मत और पुनरुत्थान: विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर, आंवला त्वचा को ठीक करने और उसे पुनः स्वस्थ बनाने में सहायक होता है। यह त्वचा के ऊतकों की मरम्मत करने में भी सहायक है, जिससे दाग-धब्बे कम होते हैं और त्वचा का लचीलापन बना रहता है।
iii) पीएच संतुलन बनाए रखना: आंवला त्वचा के प्राकृतिक पीएच संतुलन को बनाए रखने में भी सहायक है, जो गुप्तांग क्षेत्र में बैक्टीरिया की अधिकता को रोकने में सहायक होता है। यह गुण विशेष रूप से गुप्तांगों की सफाई में सहायक है, क्योंकि यह क्षेत्र स्वाभाविक रूप से नाजुक होता है और यहाँ संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।आंवला (Emblica officinalis) के बारे में कई शोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह न केवल त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है, बल्कि यह त्वचा के पीएच संतुलन को बनाए रखने में भी सहायक होता है। आंवला में टैनिन जैसे तत्व होते हैं, जो इसे प्राकृतिक एस्ट्रिंजेंट बनाते हैं। यह त्वचा के पीएच स्तर को संतुलित करता है, जिससे त्वचा अधिक स्वस्थ और हाइड्रेटेड रहती है। सामान्यत: स्वस्थ त्वचा का पीएच स्तर 4.5 से 5.0 के बीच होता है, और आंवला के उपयोग से इसे बनाए रखना संभव हो जाता है।
iv) एंटीऑक्सीडेंट्स और सूजन-रोधी प्रभाव: आंवला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और सूजन-रोधी गुण त्वचा की जलन और सूजन को कम करने में सहायक हैं, जो इसे त्वचा की किसी भी प्रकार की उत्तेजना या जलन से बचाने में उपयोगी बनाते हैं।
vi) त्वचा को रखे हाइड्रेट: आंवला में उच्च मात्रा में विटामिन C भी होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है और त्वचा की उम्र बढ़ने के प्रभावों को कम करता है। इसके नियमित उपयोग से न केवल त्वचा की संरचना में सुधार होता है, बल्कि यह त्वचा को हाइड्रेट भी करता है और उसे स्वस्थ बनाए रखता है
हाल के वर्षों में आंवला पर हुए अनुसंधानों ने इसके एंटीसेप्टिक गुणों को प्रमाणित किया है। कई शोध अध्ययनों में यह पाया गया है कि आंवला का उपयोग संक्रमणों की रोकथाम और त्वचा की सुरक्षा में प्रभावी है। इसके एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण गुप्तांग और त्वचा की सफाई में सहायक होते हैं और प्राकृतिक स्वच्छता प्रदान करते हैं।
आंवला को न केवल बाहरी त्वचा उपचार के लिए, बल्कि गुप्तांग स्वच्छता के लिए भी सुरक्षित माना गया है, क्योंकि इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण विभिन्न प्रकार के रोगाणुओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। इसके नियमित उपयोग से त्वचा की चमक और स्वच्छता भी बनी रहती है। अतः आंवला त्वचा और गुप्तांग स्वच्छता के लिए एक उत्कृष्ट प्राकृतिक विकल्प है।
रिसर्च रिफरेन्स:
1. Emblica officinalis (Amla) with a Particular Focus on Its Antimicrobial Potentials: A Review https://www.
2. Phyllanthus emblica L. (amla) branch: A safe and effective ingredient against skin aging: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/
3. Nutritional and Biochemical Composition of Amla (Acta Scientific): https://
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